सामान्य श्रेणी की खाली सीटों का विज्ञापन दे सरकार

उच्च कोर्ट ने दिल्ली गवर्नमेंट को प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करने का निर्देश दिया है जिसमें संभावित विद्यार्थियों को Covid-19 महामारी के कारण विभिन्न निजी विद्यालयों में सामान्य श्रेणी की शेष सीटों के बारे में सूचित किया जा सके
न्यायालय ने कहा, ऐसे में उन्हें संबंधित उच्च कक्षाओं में समायोजित किया जा सकता है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने यह आदेश इस बात पर संज्ञान में लेते हुए दिया है कि दिल्ली के लगभग हर निजी विद्यालय से कई याचिकाओं में यह कम्पलेन आई है कि कोविड महामारी के कारण सत्र 2021-2021 के कारण तमाम कोशिशों के बावजूद वे एकेडमी में प्रवेश स्तर की कक्षा में सामान्य श्रेणी की सभी मौजूद सीटें नहीं भर पा रहे हैं.
दिल्ली गवर्नमेंट और एक निजी विद्यालय के वकील से न्यायालय के प्रश्न पर कि क्या सामान्य श्रेणी की इन सीटों को अब भरा जा सकता है क्योंकि सभी विद्यालय फिजिकल रूप से फिर से खुल गए हैं शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने बोला सभी सीटे भरने का कोशिश किया जा रहा है.
न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद दिल्ली गवर्नमेंट और डीओई को एक हफ्ते के भीतर सभी प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करने का निर्देश देते हुए बोला इससे संभावित विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि प्रवेश स्तर की कक्षाओं में कुछ सामान्य श्रेणी की सीटों के बाद से पिछले शैक्षणिक सत्र में विभिन्न निजी विद्यालय अधूरे रह गए थे, इसलिए वर्तमान शैक्षणिक सत्र में अब विद्यार्थियों को उक्त विद्यालयों में संबंधित उच्च कक्षाओं में समायोजित किया जा सकता है. न्यायालय ने बोला इसके लिए दस दिनों के भीतर विद्यालयों में आवेदन किया जा सकता है.
न्यायालय ने बोला कि विज्ञापन में साफ तौर पर बोला जाएगा कि जिन विद्यालयों में सामान्य श्रेणी की सीटें खाली हैं, जिनके विरूद्ध विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जा सकता है और उनका विवरण डीओई की वेबसाइट पर देखा जा सकता है.
न्यायालय निजी विद्यालय आधारशिला विद्यापीठ की याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में ऑफिसरों द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई है जिसके द्वारा शैक्षणिक सत्र में प्रवेश स्तर की कक्षाओं में प्रवेश के लिए प्रतिवादियों द्वारा आवंटित आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के विद्यार्थियों को प्रवेश देने से छूट की मांग की गई थी लेकिन उसे 2021-2022 को खारिज कर दिया गया था. न्यायालय ने साथ ही दिल्ली गवर्नमेंट और शिक्षा निदेशालय को नोटिस जारी किया कर उत्तर मांगा है. न्यायालय ने मुद्दे की सुनवाई 30 मई तय की है.